Braj Ke Sawaiya – This photo was taken at Daan Ghati Mandir in Govardhan (Uttar Pradesh).
पहली दो लाइन में श्रीकृष्ण और गोवर्धन जी के रूप की चर्चा है ।
एक रूप में श्रीकृष्ण पुजारी बन गए है और एक रूप में श्रीकृष्ण गोवर्धन के रूप में प्रकट होकर दर्शन दे रहे है।
एक रूप से स्वयं पूजा कर रहे है और दूसरे रूप में स्वयं की पूजा हो रही है और हज़ार हाथ फैलाकर मांग मांग के प्रसाद खा रहे है।
In the first two lines, the form of Shri Krishna and Govardhan ji is discussed.
In one form Shri Krishna has become a priest and in another form Shri Krishna is appearing in the form of Govardhan.
In one form he is worshiping himself and in another form, again he is worshipped himself.
And having prasad by spreading a thousand hands.
दूसरी दोनों लाइनों का अर्थ है:
मुक्ति, गोपाल (श्रीकृष्ण) से कहती है – मैं सबको मुक्त करती हूँ पर मेरी मुक्ति कैसे हो आप यह बताये।
श्रीकृष्ण कहते है जब ब्रज रज उड़ के तुम्हारे मस्तक पर लगेगी तो मुक्ति तुम मुक्त हो जाओगी।
The meaning of the second two lines is:
Mukti tells Gopal (Shri Krishna) – I liberate everyone, but tell me how to be liberated?
Shri Krishna says: When Braj Raj (Dust) flies and is applied on your forehead then you will be liberated.