श्री जयन्ती माता की अमर कथा

श्री जयन्ती माता की अमर कथा

माना जाता है कि जैंती माता के मंदिर की स्थापना लगभग 600 साल पहले हुई थी। माता का मूल मंदिर कांगड़ा में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, कांगड़ा में एक लड़की थी जो माता की भक्त थी। हिथनौर शहर के राजा के साथ सगाई होने और माता से अलगाव को बर्दाश्त न कर पाने पर उसने देवी से प्रार्थना की। माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिये और वचन दिया कि वे कभी अलग नहीं होंगे।

शादी के बाद जब लड़की की डोली हिथनौर के लिए रवाना होने वाली थी तो डोली इतनी भारी हो गई कि उसे उठाया नहीं जा सका। तब लड़की ने अपने पिता को सपने के बारे में याद दिलाया और माता की एक मूर्ति डोली में रखी गई, जिसे बाद में इस मंदिर स्थल पर देवता के रूप में स्थापित किया गया।

यह मंदिर मूल रूप से छोटा था और इसका विस्तार मुल्लांपुर के राजा गरीबदास ने किया था। श्री गुरु रविदास जी के जन्मदिन पर यहां एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

(Source: Display Board)

(English to Hindi Translation by Google Translate)

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