लुधियाना रेलवे स्टेशन – एक विरासत

एक विरासत – लुधियाना रेलवे स्टेशन

लुधियाना शहर 1421 में अस्तित्व में आया। तत्कालीन लोधी सम्राट यूसुफ निहंग खान ने इस शहर को मान्यता दी और इसका नाम लोधियाना रखा। लोधी साम्राज्य से पहले, यह शहर एक छोटा सा गाँव था जिसे मीर राताह के नाम से जाना जाता था। महाराजा रणजीत सिंह ने इस शहर पर कब्ज़ा कर लिया। वर्ष 1805 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया और यह पंजाब का पहला शहर था जिस पर ब्रिटिश शासकों ने कब्ज़ा किया। 1847 में ब्रिटिश शासकों ने इस शहर को मान्यता दी और इसे जिला मुख्यालय बना दिया। समय बीतने के साथ, शहर को लुधियाना के नाम से जाना जाने लगा।

लुधियाना अब अपने होजरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है और इसे ‘भारत का मैनचेस्टर’ भी कहा जाता है। इस सदी के मशहूर शायर अब्दुलाई साहिर, जिन्हें साहिर लुधियानवी (1921-1980) के नाम से जाना जाता है, भी इसी शहर से थे। ऐतिहासिक दृष्टि से कूका आंदोलन ने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

1907 में लुधियाना स्टेशन अस्तित्व में आया। पुराने स्टेशन भवन का निर्माण चूने के गारे से ईंटों की चिनाई से किया गया था। इमारत के प्रवेश द्वार पर बने शानदार मेहराब 20वीं सदी की शुरुआत में प्रचलित वास्तुकला का ज्वलंत उदाहरण हैं।

(Source: Display Board)

(English to Hindi Translation by Google Translate)

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