बाल गंगाधर तिलक – दो राष्ट्रीय त्योहारों के वास्तुकार

युवा पीढ़ी को शिक्षा देकर उनके मस्तिष्क को तैयार करने के उद्देश्य से तिलक ने स्कूल और कॉलेज की शुरुआत की। शिक्षित वर्ग को सूचना उपलब्ध कराने, जनता का कल्याण करने तथा सरकार पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से ‘केसरी‘ तथा ‘महरट्टा’ समाचार-पत्र प्रारम्भ किये गये। 1893 में गणेश महोत्सव को एक जन आंदोलन का रूप दिया  गया ताकि शिक्षित, अशिक्षित, युवा और बूढ़े सभी लोग राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लें। गणेश महोत्सव पहले भी मनाया जाता था लेकिन वह एक निजी मामला था। तिलक ने मेलों को प्रोत्साहित किया और गणपति विसर्जन जुलूस को भी बढ़ावा दिया। तिलक ने युवाओं के उत्साह को उचित दिशा देने, कलाकारों की प्रशंसा करने और लोगों को शिक्षित करने का लक्ष्य हासिल किया। धीरे-धीरे गणेश महोत्सव ने पूना के बाहर भी सार्वजनिक उत्सव का स्वरूप ग्रहण कर लिया।

तिलक ने शिवाजी महोत्सव की भी शुरुआत की और 1896 में पहली बार इस तरह के उत्सव का आयोजन रायगढ़ किले पर किया गया था। रायगढ़ किले पर श्री शिवाजी की समाधि की मरम्मत के लिए धन एकत्र किया गया। इस उत्सव में गरीब से लेकर राजकुमारों तक सभी शामिल थे।

(Source: Display Board)

(English to Hindi Translation by Google Translate)

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